H-1B Visa Latest News 2025: ट्रंप का नया आदेश, अब लगेगा $100,000 अतिरिक्त शुल्क | USCIS Update

H-1B Visa

अमेरिका में काम करने का सपना देखने वाले भारतीय आई0टी0 पेशेवरों और इंजीनियरों के लिए H-1B वीज़ा सबसे बड़ा साधन रहा है। लेकिन अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया फैसले ने भारतीय समुदाय और आईटी इंडस्ट्री को झटका दिया है। ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए H-1B वीज़ा शुल्क को 100,000 डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) कर दिया है। इस फैसले के बाद प्रवासी भारतीयों के बीच असमंजस और चिंता का माहौल है।

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नया नियम क्या कहता है? व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि:

  1. यह कोई वार्षिक शुल्क नहीं है। यह केवल नए H-1B वीज़ा आवेदनों पर लागू होगा । 
  2. पहले से H-1B वीज़ा धारकों या नवीनीकरण पर इसका असर नहीं पड़ेगा। देश से बाहर मौजूद वीज़ा धारक पुनः प्रवेश कर सकते हैं, उन पर अतिरिक्त शुल्क लागू नहीं होगा।
  3. यह प्रावधान अगले H-1B लॉटरी चक्र से प्रभावी होगा।

H-1B Visa Live News: ट्रंप ने नए H-1B VISA पर कड़े नियम लागू किए

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा से जुड़े नए आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। व्हाइट हाउस ने इस आदेश के बाद एक फैक्टशीट जारी करते हुए बताया कि अब अमेरिका में नए H-1B वीजा आवेदन करने वालों को 1,00,000 डॉलर अतिरिक्त जमा करना अनिवार्य होगा। सरकार का दावा है कि यह कदम अमेरिकी कर्मचारियों की सुरक्षा और राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।          

फैक्टशीट के मुताबिक, केवल वही विदेशी प्रोफेशनल अमेरिका में काम करने की अनुमति पाएंगे, जिनके वीजा आवेदन के साथ यह भुगतान पूरा किया गया हो। गृह सुरक्षा विभाग को आदेश दिया गया है कि विदेश में मौजूद आवेदकों को तभी मंजूरी दी जाए जब वे पूरी रकम जमा करें। हालांकि, अगर कोई मामला राष्ट्रीय हित से जुड़ा होगा तो उसमें छूट भी दी जा सकती है। इस आदेश के तहत एंप्लॉयर्स को भुगतान से जुड़े सभी दस्तावेज सुरक्षित रखने होंगे। विदेश विभाग इसकी जांच करेगा और अगर किसी ने भुगतान नहीं किया तो संबंधित कर्मचारी को अमेरिका में एंट्री नहीं दी जाएगी। इसके अलावा, लेबर और होमलैंड सिक्योरिटी विभाग को मिलकर गाइडलाइंस बनाने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें सत्यापन, निगरानी, ऑडिट और दंड जैसी प्रक्रियाएं शामिल होंगी। साथ ही, लेबर विभाग को नए वेतन मानक तय करने का काम सौंपा गया है। वहीं, होमलैंड सिक्योरिटी विभाग को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है कि ऊंचे वेतन और उच्च कौशल वाले H-1B वर्कर्स को प्राथमिकता दी जाए।

United States Citizenship and Immigration Services (USCIS) और भारतीय दूतावास की H-1B Visa पर सफाई-

  • यूएससीआईएस (USCIS) ने कहा कि 21 सितंबर 2025 से पहले दाखिल किए गए आवेदन प्रभावित नहीं होंगे।
  • भारतीय दूतावास ने आपातकालीन सहायता के लिए मोबाइल नंबर +1-202-550-9931 (व्हाट्सएप सहित) जारी किया है, जो सिर्फ तात्कालिक मदद चाहने वाले भारतीय नागरिकों के लिए है।

अब ये समझते है कि (USCIS) क्या है?

United States Citizenship and Immigration Services (USCIS) को हिंदी में “संयुक्त राज्य अमेरिका नागरिकता और आप्रवासन सेवाएँ” कहा जाता है, जिसे संक्षेप में यूएससीआईएस (USCIS) भी कहा जाता है. यह अमेरिका में आव्रजन संबंधी लाभ प्रदान करने वाली एजेंसी है, जो आप्रवासी वीज़ा, प्राकृतिककरण आवेदनों और अन्य संबंधित प्रक्रियाओं को संभालती है.

NASSCOM और इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया

भारत के आईटी सेक्टर के शीर्ष संगठन नैसकॉम ने अपनी सदस्य कंपनियों से अपील की है कि जिन H-1B धारकों के कर्मचारी अमेरिका से बाहर हैं, उन्हें तुरंत   वापस लाया जाए। नैसकॉम के उपाध्यक्ष शिवेंद्र सिंह ने कहा कि यह कदम इंडस्ट्री पर बड़ा असर डालेगा । बिना पर्याप्त ट्रांज़िशन टाइम दिए ऐसे नियम लागू करना    अनुचित है। H-1B वीज़ा भारतीय और अमेरिकी दोनों कंपनियों की ग्लोबल ऑपरेशन्स का अहम हिस्सा है।

H-1B Visa Live News: अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने ट्रंप के आदेश पर जताई चिंता

अमेरिका वीजा लाइव अपडेट: अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश पर चिंता जताते हुए कहा है कि H-1B वीजा आवेदन पर बढ़ाया गया 1,00,000 डॉलर का शुल्क कर्मचारियों, उनके परिवारों और कंपनियों पर असर डाल सकता है. चैंबर ने बताया कि वे प्रशासन और अपने सदस्यों के साथ मिलकर इस फैसले के पूर्ण नतीजों को समझने और इसके लिए सबसे सही रास्ते पर काम कर रहे हैं.

भारतीय पेशेवरों की परेशानियाँ

  • कई भारतीय कर्मचारियों ने दिवाली और शादियों के लिए भारत आने की योजनाएँ रद्द कर दी हैं।
  • कई लोग पहले से भारत में मौजूद हैं और नियमों को लेकर भ्रम की वजह से अमेरिका लौटने में असमर्थ हैं।
  • अचानक आए इस फैसले ने हजारों परिवारों को प्रभावित किया है ।

H-1B वीज़ा के शीर्ष लाभार्थी

यूएससीआईएस के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक:

भारतीय आईटी सेक्टर पर असर

भारत का $283 बिलियन का आईटी सेक्टर पहले से ही वैश्विक आर्थिक मंदी और आउटसोर्सिंग चुनौतियों से जूझ रहा है। ऐसे में वीज़ा शुल्क में भारी बढ़ोत्तरी से कंपनियों की लागत बढ़ेगी । अमेरिकी प्रोजेक्ट्स के लिए भारतीय प्रतिभा की उपलब्धता घटेगी । भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में करियर बनाना और कठिन हो सकता है।

ट्रंप प्रशासन का यह कदम प्रवासी पेशेवरों और आईटी इंडस्ट्री के लिए बड़ा झटका है। हालांकि व्हाइट हाउस और USCIS ने स्पष्ट कर दिया है कि यह शुल्क सिर्फ नए आवेदकों पर लागू होगा, लेकिन इसका सीधा असर भविष्य की योजनाओं पर पड़ेगा।

भारतीय कंपनियों और पेशेवरों को अब अपने ग्लोबल ऑपरेशन्स मॉडल में बदलाव करना पड़ सकता है। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि भारत-अमेरिका के बीच टेक्नोलॉजी सहयोग पर इस निर्णय का क्या असर पड़ता है। तथा भारत सरकार किस तरह का कदम उठाती है ।

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